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शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

() श्री वैद्यनाथ :-


झारखण्ड राज्य के संथाल परगना मे अवस्थित एहि ज्योतिर्लिंगक कथा एहि प्रकार सँ अछि :-राक्षस राजा रावण कठोर तपस्या कऽ भगवान शिव कें शिवलिंग रूप मे लंका मे अवस्थित होयबाक वरदान मंगलनि । भगवान शिव जी वरदान दैत कहलखिन जे अहाँ शिवलिंग लऽ जा सकैत छी, परन्तु एहि लिंग के रास्ता मे कतहु पृथ्वी पर राखब तऽ ओ अचल भऽ जायत आ अहाँ पुनः उठाकय नहि लऽ जा सकैत छी । रावण शिवलिंग उठा कऽ लंका विदा भेला कि किछु दूर गेलाक बाद हुनका लघुशंका करबाक इच्छा भेलनि । ओ शिवलिंग के एक बालक के हाथ मे दऽ लघुशंका के लेल गेलाह । रावण के अबय मे देरी देखि बालक ओहि लिंग के पृथ्वी पर राखि देलनि । ओ लघुशंका सँ निवृत्त भऽ शिवलिंग के उठावय के लेल बहुत प्रयत्‍न कयलनि परन्तु शिवलिंग नहि उठि सकलनि । अन्त मे हारि कय ओ एहि पवित्र शिवलिंग पर अंगुठाक निशान बना कऽ वापस लंका चलि गेलाह । बहुत दिनक बाद ओहि जंगल मे वैदू नामक गोप गाय चरबैत ओहि स्थान पर शिवलिंग देखि साफ सुथरा स्थान कऽ प्रथम पूजा कयलनि आ तें ओ ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ नाम सँ प्रख्यात छथि ।

 

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II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

माछक महत्व


हरि हरि ! जनम कि‌ऎक लेल ?
रोहु माछक मूड़ा जखन पैठ नहि भेल ?
मोदिनीक पल‌इ तरल जीभ पर ने देल !
घृत महँक भुजल कब‌इ कठमे ने गेल !
लाल-लाल झिंगा जखन दाँ तर ने देल !
माडुरक झोर सँ चरणामृत ने लेल !
माछक अंडा लय जौं नौवौद्य नहि देल !
माछे जखन छाड़ि देब, खा‌एब की बकलेल!
सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



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