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सोमवार, 7 मार्च 2011

मिथिलाक भूगोल

गंगा बहथि जनिक दक्षिण दिशि पूर्व कौशिकी धारा

पाश्‍चिम बहथि गण्डकी उत्तर हिमवत बल-विस्तारा

कमला त्रियुगा अमृतता धेमुड़ा बागमती कृतसारा

मध्य बहथि लक्ष्मण प्रभृति से मिथिला विद्यागारा

मिथिलाक परम्परागत सीमा वृहदविष्णुपुराण (५म शताब्दी) क मिथिलामहात्म्य - खण्डमे वर्णित अछि जकर अनुवाद कवीश्‍वर चन्दा झा उपरोक्‍त रुपे कएने छथि ।

एहिसँ स्पष्ट अछि जे मिथिलाक उत्तरमे हिमालय, दक्षिणमे गंगा, पूर्व मे कोशी आ पश्चिम गंडक (शालग्रामी) नदी बहैत अछि । एहि भू-भागक विस्तार एहि प्रकार पूर्व - पश्चिम लगभग २९० किलोमीटर आ उत्तर- दक्षिण लगभग १९३ किलोमीटर होयत अछि । तदनुसार एकर क्षेत्रफल ५५९७० वर्ग किलोमीटर होयत अछि । एकर अन्तर्गत अविभक्‍त चंपारण, मुजज्फ्फपुर , दरभंगा , मुंगेर, भागलपुर (कमिश्‍नरी) ओ पूर्णियाक किछु भाग आ नेपालक तराइक दक्षिणी भाग (सप्तरी, मोहतरी, मोरंग , सरलाही, प्रभृतिक किछु जिला) अन्तर्भुक्‍त अछि ।

मिथिलाक उपर्युक्‍त सीमामे परिवर्त्तन होइत रहल हुअय से संभव, कारण कोशीक स्त्रोत कहियो स्थिर नहि रहल अछि । मुदा म.म. महेश ठाकुरक समय (१५५७ ई.) धरि सिद्धान्तत : प्राय: मिथिलाक वएह सीमा मान्य छल । सम्राट अकबर म.म. महेशठाकुर केँ जाहि भूभागक शासनक भार "आज कोष ता गोस अज गंग ता संग" अर्थात कोससँ गोस धरि ओ गंगासँ पाथर (हिमालय) धरि । एतय ’कोष’ क तात्पर्य कोशी तँ निश्चित बुझि पड़ैत अछि परन्तु ’गोस’ क तात्पर्य गंडक थिक अथवा नहि से स्पष्ट नहि अछि ।

जे किछु हुअय सम्प्रति मिथिला सँ जाहि क्षेत्रक बोध होयत अछि से परम्परागत मान्यतासँ बड्‌ड परिवर्त्तित अछि । सप्तरी मोरंग प्रभृति तराइक भूमाग विदेशक भूमि बनि गेल अछि आ गंगाक दक्षिण संपूर्ण भागलपुर जिला, पूर्वी भाग आ झारखंड राज्यक देवघर धरि मिथिला भाषा-भाषी क्षेत्रमे आबि गेल अछि । पूर्वेमे मिथिलाक सीमा कोशी मानल जायत छल आब पूणिया ओ भागलपुरक पूर्वी क्षेत्र मानल जायत अछि । एहिना परंपरागत वर्णित मिथिलाक पश्छिमी भागमे भोजपुरीक प्राबल्य भऽ गेल अछि । एहि लेल ताहि भागके मिथिलाक अंतर्गत नहि राखल जा सकैत अछि । वस्तुत जाहि भूभागमे मिथिला भाषा कोनहुँ रुपमे बाजल जाइत अछि तकरे मिथिलाक अंतर्गत अन्तर्भुक्‍त कएल जाएब उचित ओ पंडित श्री गोविन्द झाक मतसँ एहन वर्त्तमान मिथिला (तराइक मिथिला भाषा भाषी क्षेत्रकेँ छोड़ि) क क्षेत्रफल १९६२० वर्गमीलसँ अधिक नहि होयत अछि आ इ क्षेत्र २५ डिग्री आ २७ डिग्री उत्तर अक्षान्तर आ ८४ डिग्री ओ ८७ डिग्री पूर्व देशान्तरक मध्य अवस्थित अछि । एतय साल भरि १२७० सेंटीमीटर औसत बर्षा होइत अछि आ एहि ठामक न्यूनतम तापमान ७ डिग्री सेंटीग्रेड (मकर - सक्रांतिक समकाल) आ अधिकतम ४२ डिग्री सेंटीग्रेड (कर्क संक्रांतिक समकाल) रहैत अछि । शरद ऋतु मे तापमान ५ डिग्री-१५ डिग्री सेल्सिअस रहैत अछि । मिथिलाक भूमाग समुद्री सतहसँ दूर अछि एहि लेल एतय शरद ऋतु बड्‌ड कष्टदायी होयत अछि । फरवरी सँ मार्च आ अक्टूबरसँ नवम्बर मिथिलायात्राक लेल सभसँ बेसी उपयुक्‍त अछि । मिथिला क्षेत्रक माटि कृषिक लेल बड्‌ड उपजाऊ भेलाक कारणे एतुका अर्थव्यवस्था के संबल प्रदान करैत अछि । एहि क्षेत्रमे पूर्णरुपसँ बर्षा होयत अछि जे कृषिक लेल उपयुक्‍त अछि ।

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II श्री सरस्वत्यै नमः II

II श्री सरस्वत्यै नमः II
ॐ शुक्लांब्रह्मविचारसार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं I वीणापुस्तक धारिणींमभयदां जाड्यान्ध्कारापहाम् II हस्तेस्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मसनेसंस्थितां I वन्देतांपरमेश्वरींभगवतीं बुद्धिप्रदाम शारदाम् II

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सागेपात चिबैबक छल त जन्म कि‌ऎ लेल !
हरि हरि.



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